1 Samuel 19
1 शाऊल ने अपने पुत्र योनातन तथा अन्य कर्मचारियों से दाऊद की हत्या करने की चर्चा की। परन्तु शाऊल का पुत्र योनातन दाऊद से अत्यन्त प्रसन्न था।
2 उसने दाऊद को यह बताया, ‘मेरे पिता अवसर की खोज में हैं कि वह तुम्हारी हत्या कर दें। अब तुम सबेरे सावधान रहना। गुप्त स्थान में रहना। वहां स्वयं को छिपाकर रखना।
3 मैं पिता के साथ बाहर जाऊंगा। मैं उनके साथ खेत में रहूंगा, जहां तुम छिपे होगे। मैं उनसे तुम्हारी चर्चा करूंगा। यदि मुझे कोई बात ज्ञात होगी तो तुम्हें बताऊंगा।
4 योनातन ने अपने पिता शाऊल से दाऊद के विषय में भली बातें कहीं। योनातन ने कहा, ‘महाराज, अपने सेवक दाऊद के प्रति पाप न करें! उसने आपके प्रति पाप नहीं किया है। उसके सब कार्यों से आप का बहुत हित हुआ है।
5 उसने अपने प्राण को हथेली पर रखकर पलिश्तियों का वध किया था। यों प्रभु ने समस्त इस्राएली जाति को एक महान विजय प्रदान की। आपने स्वयं उसको देखा, और आनन्द मनाया था। तब आप क्यों निर्दोष व्यक्ति के प्रति पाप करना चाहते हैं? क्यों आप दाऊद की अकारण हत्या करना चाहते हैं?’
6 शाऊल ने योनातन की बात सुनी। उसने शपथ खाई, ‘जीवन्त प्रभु की सौगन्ध! मैं दाऊद की हत्या नहीं करूंगा।’
7 अत: योनातन ने दाऊद को बुलाया। उसने दाऊद को ये सब बातें बताईं। वह दाऊद को शाऊल के पास ले आया। दाऊद पहले के समान शाऊल के साथ रहने लगा।
8 इस्राएलियों और पलिश्तियों में पुन: युद्ध छिड़ गया। दाऊद युद्ध करने गया। वह पलिश्तियों से लड़ा। उसने उनका महासंहार किया। अत: वे उसके सामने से भाग गए।
9 तब प्रभु की ओर से एक बुरी आत्मा शाऊल पर आ उतरी। वह अपने महल में बैठा था। उसका भाला उसके हाथ में था। दाऊद हाथ से सितार बजा रहा था।
10 शाऊल ने भाले से दाऊद को दीवार में बेधने का प्रयत्न किया। परन्तु वह शाऊल के वार से बच गया। भाला दीवार में धंस गया। दाऊद भागा और बचकर निकल गया।
11 शाऊल ने दाऊद पर नजर रखने के लिए उसी रात उसके घर दूत भेजे कि वे सबेरे उसकी हत्या कर दें। किन्तु दाऊद की पत्नी मीकल ने उसे यह बात बता दी। मीकल ने कहा, ‘यदि तुम आज रात भाग कर अपने प्राण की रक्षा नहीं करोगे तो कल तुम्हारी हत्या कर दी जाएगी।’
12 अत: मीकल ने दाऊद को खिड़की से नीचे उतार दिया। वह चला गया। यों वह भागकर बच गया।
13 मीकल ने गृह-देवता की एक मूर्ति ली। उसने उसको पलंग पर लिटा दिया। उसने बकरियों के बालों की बनी हुई एक जाली उसके सिर पर लगा दी, और उसको चादर से ढक दिया।
14 शाऊल ने दाऊद को बन्दी बनाने के लिए दूत भेजे। मीकल ने कहा, ‘वह बीमार है।’
15 तब शाऊल ने दाऊद को देखने के लिए दूत भेजे। उसने दूतों को यह आदेश दिया, ‘उसे पलंग सहित मेरे पास ले आओ। मैं उसका वध करूंगा।’
16 दूतों ने दाऊद के घर में प्रवेश किया। उन्होंने देखा कि पलंग पर गृह-देवता की एक मूर्ति है। उसके सिर पर बकरियों के बाल की एक जाली लगी हुई है!
17 शाऊल ने मीकल से पूछा, ‘तूने मुझे ऐसा धोखा क्यों दिया? मेरे शत्रु को क्यों जाने दिया कि वह बचकर निकल जाए?’ मीकल ने शाऊल को उत्तर दिया, ‘दाऊद ने मुझसे कहा: “मुझे जाने दे, अन्यथा मैं तुझे मार डालूंगा।” ’
18 दाऊद भागा, और वह बच गया। वह रामाह नगर में शमूएल के पास आया। जो कुछ शाऊल ने उसके साथ किया था, वह उसने शमूएल को बता दिया। तब दाऊद और शमूएल रामाह के नायोत मुहल्ले को चले गए, और वहां रहने लगे।
19 किसी ने शाऊल को यह बात बताई, ‘देखिए, दाऊद रामाह नगर के नायोत मुहल्ले में है।’
20 शाऊल ने दाऊद को बन्दी बनाने के लिए दूत भेजे। पर जब दूत वहां आए तब उन्होंने नबियों की सभा देखी। नबी नबूवत कर रहे थे। उन्होंने नबियों के मध्य शमूएल को खड़े हुए देखा। तब परमेश्वर का आत्मा शाऊल के दूतों पर उतरा, और वे भी नबूवत करने लगे।
21 लोगों ने यह बात शाऊल को बताई। तब उसने और दूत भेजे। पर वे भी नबूवत करने लगे। शाऊल ने फिर तीसरी बार दूत भेजे। वे भी नबूवत करने लगे।
22 अत: वह स्वयं रामाह नगर गया। वह खलियान के कुएं पर पहुंचा, जो नंगे टीले पर था। उसने किसी से पूछा, ‘शमूएल और दाऊद कहां हैं?’ उसने उत्तर दिया, ‘देखिए, वे रामाह नगर के नायोत मुहल्ले में हैं।’
23 अत: वह वहां से रामाह नगर के नायोत मुहल्ले को गया। तब परमेश्वर का आत्मा शाऊल पर भी उतरा और वह भी नबूवत करने लगा। जब तक वह रामाह नगर के नायोत मुहल्ले में नहीं पहुंचा तब तक वह मार्ग में चलते-चलते नबूवत करता रहा।
24 वह शमूएल के सम्मुख भी नबूवत करता रहा। उसने अपने वस्त्र उतार दिए। वह दिन-भर और रात-भर वहीं नग्न पड़ा रहा। इस कारण लोगों में यह कहावत प्रचलित है: ‘क्या नबियों में शाऊल भी एक नबी है?’